About Us

साप्ताहिक रणनाद के सूर्य का उदय ।

साप्ताहिक रणनाद, उन्नाव का एक प्रसिद्ध हिन्दी समाचार पत्र है। 26 जनवरी, 1965 को गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय ने साप्ताहिक रणनाद का प्रकाशन प्रारंभ किया। उस समय जनपद में बहुत कम ही समाचार पत्र प्रकाशित होते थे। साप्ताहिक रणनाद ने कम समय में ही लोकप्रियता हासिल कर ली। साप्ताहिक रणनाद में प्रकाशित कवियों की कविताओं ने समाज की पूरी पूरी सेवा की, जिसका श्रेय पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय को जाता है, जिन्होंने कवियों को तराशकर आगे बढ़ाया और आगे चलकर वे महाकवि बने। साप्ताहिक रणनाद अपनी निर्भीकता, निष्पक्षता और निर्द्वंद्वता के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया। पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय ने जीवन पर्यन्त साप्ताहिक रणनाद की अथक सेवा की। 19 जुलाई 2001 को पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय जी का असामयिक निधन हो गया। उनके बाद साप्ताहिक रणनाद को आगे बढ़ाने में सम्पादक अरुण कुमार पाण्डेय ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। उन्हें परिवार के सभी सदस्यों श्रीमती आशा वाजपेयी, श्रीमती अंजुली पाण्डेय, शक्ति वाजपेयी, मयंक वाजपेयी, अनुपम वाजपेयी, आकाश पाण्डेय एवं वरुण पाण्डेय का अनवरत् सहयोग मिल रहा है। साप्ताहिक रणनाद 60वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इतनी लंबी यात्रा में साप्ताहिक रणनाद न कभी थका और न ही रुका, निरंतर आगे बढ़ता जा रहा है और बढ़ता रहेगा।

संपादक मंडल

aasha vajpayi

श्रीमती आशा वाजपेयी

प्रधान संपादक

arun kumar pandey

अरुण कुमार पाण्डेय

प्रधान संपादक

भारतवर्ष की स्वतंत्रता में हमारा योगदान

जब पूरे देश के कोने-कोने में स्वतंत्रता आंदोलन महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में संचालित किया जा रहा था, उसी समय रंगीन हस्तलिखित पत्रिका के माध्यम से पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय स्वाधीनता की अलख जगा रहे थे। हस्तलिखित पत्रिका में कविता, लेख, नाटक, कार्टून आदि प्रमुखता से आजादी के सपने को साकार कर रहे थे। हस्तलिखित पत्रिका स्वतंत्रता-आंदोलन को गति प्रदान कर रही थी। सम्पादक के रूप में पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय अपनी सम्पादकीय के माध्यम से देश को स्वतंत्र कराने में अहम् भूमिका का परिचय दे रहे थे। समय बीतता गया और भारत देश 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हो गया। देश का विभाजन भी देखा, जो असहनीय था। आजादी के बाद पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय ने ‘दैनिक विश्वमित्र', कानपुर का जनपद उन्नाव में बहुत प्रचार-प्रसार किया। स्वतंत्रता सेनानी पण्डित देवदत्त मिश्र के निर्देशन में दैनिक विश्वमित्र जनपद उन्नाव में काफी लोकप्रिय हो गया। सुकवि पण्डित राधावल्लभ पाण्डेय ‘बन्धु’ ने बन्धु-प्रेस की स्थापना सन् 1962 में मसवासी, उन्नाव में की। उस समय जनपद में बहुत कम प्रिंटिंग प्रेस थे। 26 जनवरी, 1965 को गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय ने साप्ताहिक रणनाद का प्रकाशन प्रारंभ किया। उस समय जनपद में बहुत कम ही समाचार पत्र प्रकाशित होते थे। साप्ताहिक रणनाद ने कम समय में ही लोकप्रियता हासिल कर ली। साप्ताहिक रणनाद में प्रकाशित कवियों की कविताओं ने समाज की पूरी पूरी सेवा की, जिसका श्रेय पण्डित कृष्ण वल्लभ पाण्डेय को जाता है, जिन्होंने कवियों को तराशकर आगे बढ़ाया और आगे चलकर वे महाकवि बने।

हमारा मिशन

हमारा सप्ताहिक रणनाद का मिशन है कि पूरे देश में राम राज्य की स्थापना हो। चुनाव महंगे न हों, एक आम नागरिक भी चुनाव लड़ सके, ऐसी व्यवस्था हो। हमारा देश सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो, शिक्षा और स्वास्थ्य में समानता हो, समाज में समरसता कायम हो, पर्यावरण संरक्षण का प्रचार-प्रसार हो, कुटीर-उद्योगों का जाल फैले, और देश में शान्ति की स्थापना हो। हमारा यही प्रयास होगा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ 'प्रेस' को पूर्णरूप से स्वतंत्र रहने हेतु केंद्र और प्रदेशों की सरकारें कार्य सम्पादित करें और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करें। विज्ञापनों को लघु समाचार पत्रों में अधिकाधिक प्रकाशित करें, ऐसी केंद्र और प्रदेश की सरकारों की व्यवस्था हो, जिससे प्रेस अपने सिद्धांतों के अनुरूप कार्य कर सके। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को मजबूत करना ही होगा, तभी देश प्रगति करेगा। हम सटीक, समय पर और ज्ञानवर्धक समाचार कवरेज प्रदान करने के लिए समर्पित हैं। हमारा मिशन पाठकों को ज्ञान के साथ सशक्त बनाना, सूचित निर्णय लेने को बढ़ावा देना है। नैतिक रिपोर्टिंग और विविध दृष्टिकोणों के माध्यम से, हमारा लक्ष्य भारतवर्ष के नागरिकों के भीतर विश्वास और एकता का निर्माण करना है। हमारा मिशन है कि हम भारतवर्ष के नागरिकों की स्वतंत्र आवाज़ बना सकें। हम इस समाचार पत्र के माध्यम से भ्रष्टाचार, महंगाई, कुशासन, और लोगों की स्वतंत्र आवाज को दबाने वालों के खिलाफ युद्ध की घोषणा करते हैं।

साप्ताहिक रणनाद का विज़न

साप्ताहिक रणनाद का विज़न लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ 'प्रेस' को मजबूत बनाना है। साप्ताहिक रणनाद उसी सिद्धान्त पर चल रहा है. निर्भीकता, निष्पक्षता एवं निर्द्वंद्वता के साथ आगे बढ़ रहा है। साप्ताहिक रणनाद का विज़न स्पष्ट है। आज़ादी के बाद हमारा भारत देश विश्व गुरु बने, पूरे विश्व में शान्ति की पताका फहराये एवं पूर्व की भाँति सोने की चिड़िया कहलाये। देश स्वतन्त्र हो गया, किन्तु आर्थिक एवं सामाजिक आज़ादी भी आवश्यक है। इस दिशा में साप्ताहिक रणनाद देश को नयी दिशा प्रदान करता रहेगा। केन्द्र एवं प्रदेशों की सरकारें इस ओर सक्रिय रूप से कार्य को सम्पादित करें। साप्ताहिक रणनाद समय-समय पर उन्हें पत्र के माध्यम से जगाता रहेगा। जनता एवं शासन-प्रशासन के मध्य सेतु की तरह कार्य करता रहेगा। सबको शुद्ध पेय जल, शिक्षा, स्वास्थ्य,‌ मकान, रोजगार आदि मिले, ऐसी भावना के साथ साप्ताहिक रणनाद अपने कदम बढ़ाता रहेगा

Our Subscriber

साप्ताहिक रणनाद (Rannad Weekly) उत्कृष्ट, ताज़ा खबरें और रोचक सोशल मीडिया सामग्री प्रदान करता है।

Shubham Awasthi

Subscriber

RANNAD Weekly offers top-notch, up-to-date news with insightful articles and engaging social media content.

Avantika Singh

Subscriber

Rannad Weekly delivers excellent and substantial news coverage. The content is consistently informative and well-researched.

Rahul Kashyap

Subscriber