विश्व पर्यावरण दिवस: पर्यावरण संरक्षण पर प्रधानमंत्री मोदी की प्राथमिकता

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत 9 जून को उनके शपथ लेने के बाद होगी, और इस बार उनका मुख्य ध्यान पर्यावरण पर होना चाहिए। भारतीय जलवायु परिवर्तन, जल संकट और पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर उन्हें प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत में बारिश का विचित्र व्यवहार, तापमान में वृद्धि और अन्य पर्यावरणीय प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें प्रदूषण कम करने, जल संकट का समाधान ढूंढने और पर्यावरण के सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

भारतीय पर्यावरण की स्थिति

भारत वर्तमान में कई पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना कर रहा है:
1. जल संकट: देश के विभिन्न हिस्सों में जल संकट है। कुछ स्थानों पर अत्यधिक वर्षा होती है, जबकि अन्य स्थानों पर पानी की कमी है।
2. जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में अनिश्चितता बढ़ रही है। गर्मी की लहरें बढ़ रही हैं, और मानसून की अवधि अनियमित हो रही है।
3. वायु प्रदूषण: प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
4. वृक्षारोपण की कमी: भारतीय सरकार ने पिछले 40 वर्षों में व्यापक रूप से पीपल, नीम, बरगद जैसे पेड़ों का रोपण नहीं किया है, जो अधिक शुद्ध वायु उत्पन्न करते हैं। इससे हमारे पर्यावरण को कई संघर्षों का सामना करना पड़ता है और हमें उन्नत और प्रभावी परिवर्तन के लिए आगे बढ़ने की आवश्यकता है।

भारत की कृषि और पर्यावरण का प्रभाव

भारत एक कृषि प्रधान देश है, और हमारी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि पर आधारित है। यदि पर्यावरण की स्थिति खराब होती है, तो इसका सीधा प्रभाव हमारी कृषि पर पड़ता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ता है। अगर भारत को आर्थिक शक्ति और विश्व गुरु बनना है, तो यही समय है जब हमें पर्यावरण पर विशेष ध्यान देना होगा।

हम अक्सर समाचारों में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं देखते हैं, जिनमें से एक प्रमुख कारण पर्यावरण भी है। कभी समय पर बारिश नहीं होती है, कभी बहुत ज्यादा हो जाती है, कभी ठंड नहीं पड़ती है, और कभी गर्मी अत्यधिक बढ़ जाती है। ये सभी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव हैं, जो हमारे किसानों को गंभीर संकट में डालते हैं।

यदि देश का किसान खुश और खुशहाल होगा, तभी देश तरक्की करेगा। इसीलिए, प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान पर्यावरण पर

प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में पर्यावरण को प्राथमिकता देना समय की मांग है। उनकी सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

1. वृक्षारोपण अभियान: पीपल, नीम, बरगद जैसे पेड़ों के बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना चाहिए, जो न केवल ताजा हवा प्रदान करेंगे बल्कि पर्यावरण को भी संतुलित करेंगे और अधिक वर्षा भी होगी जिससे कृषि में बहुत फायदा होगा।
2. जल संरक्षण: जल संरक्षण के लिए सख्त नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन किया जाना चाहिए। वर्षा जल संचयन और जल संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
3. वायु गुणवत्ता सुधार: वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना और औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है।
4. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए हरित ऊर्जा स्रोतों को अपनाना चाहिए और कार्बन उत्सर्जन को कम करना चाहिए।

मोदी सरकार ने जैसे अपने पिछले कार्यकाल में राम मंदिर, अनुच्छेद 370, और तीन तलाक जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी है, वैसे ही अब उन्हें पर्यावरण पर भी विशेष ध्यान देना होगा कि कैसे भारत की नदियों को सूखने से बचाया जाए, कैसे वायु प्रदूषण को कम करना है, कैसे अधिक पेड़ों को लगाना है और पुराने पेड़ों को कटने से रोकना है, कैसे पेट्रोल और डीजल के वाहनों को धीरे-धीरे कम करना है। हमें एक जल प्रबंधन की भी आवश्यकता है ताकि जब भी वर्षा हो हम उसका जल संचय करें। इन सभी कार्यों को पूरा करने के लिए अब देश को पर्यावरण क्रांति की आवश्यकता है, जैसा कि हमने पिछले कुछ दशकों में कंप्यूटर, दूध, और कृषि के क्षेत्र में किया। इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए सरकार को सख्त नीतियों और कार्रवाईयों की जरूरत है, साथ ही हर व्यक्ति को भी अपना योगदान देने की जिम्मेदारी है।

आम नागरिकों की भूमिका

सिर्फ सरकार ही नहीं, आम नागरिकों को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए:

1. वृक्षारोपण: अपने आसपास के क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेड़ लगाएं।
2. जल संरक्षण: पानी का सदुपयोग करें और वर्षा जल संचयन को अपनाएं।
3. स्वच्छ ऊर्जा: स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करें और पर्यावरण मित्रवत उत्पादों का समर्थन करें।
4. प्रदूषण नियंत्रण: अपने दैनिक जीवन में प्रदूषण को कम करने के उपाय अपनाएं, जैसे सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, वाहनों का नियमित रखरखाव आदि।


निष्कर्ष
आज हम पर्यावरण संकट के गंभीर चरण में हैं। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भारत को इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एक व्यापक और मजबूत पर्यावरण नीति की आवश्यकता है, जिससे हम अपने पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रख सकें।

आज हम एक ऐसी गंभीर स्थिति में हैं जैसे युद्ध में होते हैं, और हमें पर्यावरण में क्रांति की आवश्यकता है, जैसा कि हमने पिछले कुछ दशकों में कंप्यूटर, दूध, और कृषि के क्षेत्र में किया। इस दिशा में कदम बढ़ाने के लिए सरकार को सख्त नीतियों और कार्रवाईयों की जरूरत है, साथ ही हर व्यक्ति को भी अपना योगदान देने की जिम्मेदारी है।

भारत में पर्यावरण की स्थिति को सुधारने के लिए सभी का सहयोग और साझेदारी की आवश्यकता है, क्योंकि यदि हम इस बार कोई कदम नहीं उठाते, तो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा, और इसका प्रभाव अन्य देशों की तुलना में भारतीयों पर अधिक होगा।

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